क्रीड़ा/खेल-कूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम

महाविद्यालय प्रशासन का सदैव प्रयास रहता है कि उपलब्ध सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करते हुए विद्यार्थी खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अधिक से अधिक रुचि लें और अपनी प्रतिभा से अपना तथा महाविद्यालय का मान बढ़ाएं।

खेलों से स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है इनसे मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। खेलकूद से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता,धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्‍भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन में संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है।